मिसाल : न जमीन, न मिट्टी…फिर भी हर महीने साढ़े तीन लाख की फल-सब्जियां उगा रहे ये आईआईटीयन

Success Story : हवा में सब्जी उगाने की तकनीक ने बदल दी जिंदगी

Startup eski foods

अगर आपका फल-सब्जी उगाकर कमाई का मन है तो सबसे पहले दिमाग में जमीन की जरूरत महसूस होती है। लेकिन कितना अच्छा हो अगर जमीन की जरूरत ही न हो। जी हां, इसी सोच को आगे बढ़ाया है आईआईटी बॉम्बे के दो पूर्व छात्रों ने। बिना जमीन, बिना मिट्टी आज वह हर महीने साढ़े तीन लाख की सब्जियां उगा रहे हैं। आईये आपको बताते हैं यह सफलता की कहानी, ताकि आप भी कर सकें ऐसा ही कोई कमी वाला कमाल…

राजस्थान के रहने वाले अमित कुमार और अभय सिंह आईआईटी बॉम्बे से पास आउट हैं। दोनों ने पिछले तीन साल से हाइड्रोपोनिक सिस्टम पर काम किया है। इस सिस्टम के मुताबिक़, बिना जमीन के फल और सब्जियों की खेती होती है दोनों ने कोटा और भीलवाड़ा में फार्म लगाए हैं और इस सिस्टम से हर महीने 3.5 लाख रुपये की मार्केटिंग कर ले रहे हैं।

बाजार में Eeki Foods के नाम से उनकी फल और सब्जियां मिलती हैं। प्योर ऑर्गेनिक फूड के तौर पर तेजी से इकि फूड्स की पहचान बन रही है।

अभय मूल रूप से यूपी के रहने वाले हैं, लेकिन पढ़ाई-लिखाई राजस्थान में हुई अमित गंगानगर के हैं। दोनों वर्ष 2010 में आईआईटी बॉम्बे पहुंचे। दोस्ती हुई और दोनों ने रोबोटिक सिस्टम पर काम किया। साल 2014 में दोनों एक कंपनी में जॉब करने लगे।

अक्टूबर 2017 में दोनों ने जॉब छोड़ दी और राजस्थान के गांवों में रिसर्च करने लगे, जो कि 6 महीने तक चला। इस दौरान ऑर्गेनिक फार्मिंग करने वाले किसानों से मिले। वहां उन्हें ऑर्गनिक फार्मिंग करने वाले किसानों की परेशानियां मालूम हुईं।

साल 2018 में दोनों ने घर की छत से हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती की शुरुआत की। छत पर पालक, भिंडी, टमाटर और लौकी की खेती की। शुरुआत में उन्हें मुनाफा नहीं हुआ। पहले मिट्टी की जगह कोकोपीट का उपयोग किया। इसे हर 06 महीने पर बदला। इसके पीछे PH लेवल मेंटेन करना था। कई रिसर्च के बाद उन्होंने ग्रोइंग चैंबर तैयार किया, जिसमें कोकोपीट की भी जरूरत नहीं थी।

वर्ष 2019 में दोनों ने एक कंपनी बनाई और कोटा में जमीन खरीदी। 25 लाख रुपये खर्च कर पॉलीहाउस तैयार किया। हाइड्रोपोनिक सिस्टम डेवलप कर ग्रोइंग चैंबर्स लगा दिए। इससे खेती की लागत भी कम हो गई और पैदावार भी बढ़ गई। अब वे मार्केट रेट पर ऑर्गेनिक फूड बेचने लगे।

आज उनकी टीम में 40 लोग काम करते हैं। जल्द ही वे राजस्थान के बाहर भी अपना फार्म लगाने वाले हैं। वे दिल्ली और मुंबई तक पहुंच बनाने की कोशिश में हैं। उनका टार्गेट हर महीने 40 लाख के कारोबार का है।

क्या होती है हाइड्रोपोनिक तकनीक
इस तकनीक में जमीन का इस्तेमाल नहीं होता है। पौधों के लिए जरूरी चीजें वॉटर मिडियम से उपलब्ध कराई जाती है। इसमें मिट्टी की जगह कोकोपीट मतलब की नारियल के वेस्ट से तैयार नैचुरल फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार कंकड़-पत्थर का भी इस्तेमाल करते हैं। पौधों को मिनरल्स पानी के जरिए दिया जाता है।

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