इन बच्चों की कहानी पढ़कर आप भी करेंगे सलाम

JEE MAIN 1 में सफलता की ऐसी कहानियां, जो सबके लिए मिसाल हैं

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इंजीनियर बनने का सपना। उस सपने में मुफलिसी की रुकावट। इस रुकावट के बावजूद आगे बढ़ने का जज्बा। कुछ ऐसी ही कहानियां हैं देहरादून के इन युवाओं की, जिन्होंने सामान्य से रोजी रोटी के संकट से जूझने वाले परिवारों से निकलकर इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा जेईई मेन-1 में कामयाबी हासिल की है। उनकी यह हिम्मत और हौसला, हम सबके लिए मिसाल है।

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कारपेंटर का बेटा बनेग इंजीनियर
नाम : आयुष धीमान। जेईई मेन का स्कोर : 97.70 पर्सेँटाइल। आयुष एक बेहद सामान्य परिवार से है। उनके पिता कपिल धीमान कारपेंटर हैं। परिवार में कमाई का कोई और जरिया नहीं है। किसी तरह घर की रोजी-रोटी का जुगाड़ करते हैं। बेटे को पढ़ाकर आगे बढ़ाने का उनका सपना अब पूरा हो गया है। आयुष अब इंजीनियर बनेगा। तीन भाई बहनों में सबसे छोटे आयुष ने बताया कि वह नियमित पढ़ाई करते रहे, जिससे आज यह नतीजा आया है। उन्होंने पिछले साल एसजीआरआर पब्लिक स्कूल तालाब से 95 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास की थी। तब जेईई मेन दिया लेकिन 87 परसेंटाइल स्कोर रहा। दोबारा तैयारी शुरू की। उनके शिक्षक अविरल क्लासेज के निदेशक डीके मिश्रा ने बताया कि आयुष पहले से ही पढ़ाई को लेकर बेहद गंभीर था। उनकी मेहनत ही आज इस नतीजे के तौर पर सबके सामने है।

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पढ़ाई के साथ ही पापा के साथ चक्की में करती थी काम, बनेगी इंजीनियर
पूरी कंसंट्रेशन के साथ पढ़ाई। इसके बाद पापा के साथ चक्की पर काम में हाथ बंटाना। ऐसी मेहनती बेटी स्वाति सक्सेना अब इंजीनियर बनेगी। स्वाति ने जेईई मेन में 92.19 पर्सेंटाइल स्कोर किया है। वह एक सामान्य परिवार से हैं। उनके पिता घर पर ही चक्की चलाकर गुजर बसर करते हैं। स्वाति ने हिमज्योति स्कूल देहरादून से 12वीं पास की। उनकी तमन्ना इंजीनियर बनने की थी। इसकी तैयारी शुरू की। वह सातवीं कक्षा से ही इंजीनियर बनने का सपना देख रही हैं जो कि अब पूरा होने जा रहा है। उनके शिक्षक एवं बलूनी क्लासेज के एमडी विपिन बलूनी ने बताया कि स्वाति की काबिलियत और लगन को देखते हुए उसे संस्थान ने मुफ्त जेईई मेन की तैयारी कराई है। अब जेईई एडवांस की तैयारी भी मुफ्त कराई जाएगी। स्वाति का सपना मैकेनिकल इंजीनियर बनने का है। उनके पिता कृष्ण कुमार इस कामयाबी पर बेहद खुश हैं।

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सब्जी बेचने वाले का बेटा बनेगा इंजीनियर
पिता ठेली पर सब्जी बेचकर परिवार का गुजर बसर करते हैं। आर्थिक हालात आड़े आए लेकिन निशांत मेनवाल ने हार नहीं मानी। जेईई मेन परीक्षा में उन्होंने 90.24 पर्सेंटाइल स्कोर किया है। निशांत के पिता बबलू मेनवाल सब्जी बेचते हैं जबकि मां ओमवती मेनवाल गृहिणी हैं। निशांत ने बताया कि उनके पिता हमेशा चाहते थे कि उनका बेटा पढ़ लिखकर इंजीनियर बने। देश के विकास में अपना योगदान दे। इसके लिए उन्होंने आर्थिक तंगी के बावजूद अपने बेटे को पढ़ाया। आज बेटे ने जेईई मेन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया तो वह बेहद खुश हैं। निशांत ने 12वीं की परीक्षा एसजीआरआर पटेलनगर से पास की है। वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते हैं, जिसके लिए उनकी पहली पसंद कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग है। उनके टीचर एवं अचीवर्ज क्लासेज के सीईओ मनु पंत ने बताया कि वह आगे बढ़ने के लिए लालायित रहते थे। आज उनकी इसी मेहनत का ईनाम मिला है।

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