गुजरात में असिस्टेंट सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस होगी अब आईपीएस साफिन हसन की नई पहचान
संघर्ष, मजबूरियां, चुनौतियां…यह सभी शब्द गुजरात के एक परिवार के सामने छोटे पड़ गए। पिता ने हालातों से लड़कर चाय और अंडे बेचे। मां ने रोटियां पकाकर गुजारा किया। बेटे ने उनकी मेहनत को प्रेरणा बनाकर एक नया मुकाम बना दिया। ऐसी मंजिल हासिल की जो आज के हर युवा का सपना होती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं गुजरात के असिस्टेंट सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस साफिन हसन की। नन्हीं सी उम्र में साफिन ने आईपीएस बनकर मिसाल कायम की है।
साफिन की उम्र 23 साल है लेकिन हालातों से लड़ने का उनका अनुभव एक उम्रदराज से कम नहीं है। राजकोट में रहने वाले साफिन ने वर्ष 2017 में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास की। इसमें ऑल इंडिया 570वीं रैंक हासिल की। वह आईपीएस बन गए।
मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, साफिन के पिता मुस्तफा हसन और मां नसीम बानो सूरत में एक हीरे की खान में काम करते थे। उनकी नौकरी चली गई। वह अपने बेटे को पढ़ाना चाहते थे ताकि वह इन हालातों से न जूझे। इसी चाहत में बेटे की पढ़ाई के लिए जी-तोड़ मेहनत शुरू कर दी। पिता ने इलेक्ट्रिशियन के रूप में नौकरी की। मां ने रेस्टोरेंट और मैरिज हॉल में रोटियां बनाने का काम किया। बेटे को पढ़ाने की चाहत में पिता सर्दियों में चाय और अंडे बेचते थे।
स्कूल में कलेक्टर देखकर मिली सिविल सर्विस की प्रेरणासाफिन का कहना है कि उनके प्राइमरी स्कूल में एक बार कलेक्टर आए। लोगों ने खूब इज्जत दी। वह समझ नहीं पाए कि यह कौन हैं? घर आकर मौसी से पूछा कलेक्टर सर को लोगों ने इज्जत क्यों दी? उन्होंने समझाया कि कलेक्टर किसी जिले का राजा होता है। फिर पूछा कलेक्टर कैसे बनते हैं तो उन्होंने बताया कि कोई भी अच्छी पढ़ाई करके कलेक्टर बन सकता है। वहीं से साफिन ने अफसर बनने की ठान ली थी।
मां सुबह उठकर पकाती थी रोटियां
साफिन की मां सुबह तीन बजे उठकर 20 से 200 किलो आटे की चपाती बनाती थी। इस काम से वह हर महीने पांच से आठ हजार रुपए कमाती थीं। इसके बाद आंगनबाड़ी में एक्स्ट्रा काम करती थीं। साफिन खुद अपने हॉस्टल खर्च के लिए छुट्टियों में बच्चों को पढ़ाते थे।
(सभी तस्वीरें इंस्टाग्राम से ली गई है)
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