नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की भारत यात्रा पहंुची देहरादून के ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय, हजारों बच्चों से रूबरू हुए सत्यार्थी
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि देश में ऐसे भी स्थान हैं, जहां भैंस दो लाख की बिकती है और लड़की 20 हजार रुपये में। सत्यार्थी ने कहा कि है कि देश में मानव तस्करी रोकने के लिए जल्द सख्त कानून बनाया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री ने उन्हें यह कानून बनाने का आश्वासन दिया है।
नोबेल पुरस्कार विजेता श्री सत्यार्थी ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए भारत यात्रा पर निकले कैलाश सत्यार्थी का आज उत्तराखंड में अपने पहले पड़ाव के दौरान ग्राफिक एरा पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े देते हुए बताया कि पिछले साल देश में बच्चों के यौन उत्पीड़न के 15000 मामले दर्ज हुए। इनमें से केवल चार प्रतिशत में सजा हुई है। छह प्रतिशत मामलों में अभियुक्त छूट गए और 90 प्रतिशत मामले लम्बित हैं। ऐसे मामलों में अपराधियों को जल्द सजा दिलाने के लिए हर जिले में विशेष अदालतें बनाई जानी चाहिएं।
उन्होंने बलात्कार के कई मामलों का जिक्र करते हुए बाल अपराधों पर चिंता जाहिर की। दुनिया में बाल मजदूरी में कमी आई है, लेकिन इसे पूरी तरह रोकने के लिए खामोश रहकर मजदूरी करने वाले लाखों बच्चों के मौन पर प्रहार करने की जरूरत है। श्री सत्यार्थी ने कहा कि हार या जीत को परवाह किए बगैर मैदान में उतरने वाले ही इतिहास रचते हैं।
उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत ने भरोसा दिलाया कि देवभूमि में आकर सत्यार्थी की भारत यात्रा को और ज्यादा प्रखरता और ऊर्जा मिलेगी। मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में समारोह में पहुंचे प्रकाश पंत ने कहा कि हमारी संस्कृति यौन उत्पीड़न का विरोध करती है।
ग्राफिक एरा ग्रुप के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) कमल घनशाला ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का स्वागत करते हुए बचपन को सुरक्षित करने के अभियान में पूरी भागीदारी का ऐलान किया। डॉ. घनशाला ने कहा कि ग्राफिक एरा ने नए प्रोजेक्ट में काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को निशुल्क पढ़ाने आदि की सारी व्यवस्थाएं संस्थान करेगा ताकि वे भी डॉक्टर और इंजीनियर बन सकें।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूरी ने आंकड़े देते हुए कहा कि उत्तराखंड में दूसरे राज्यों के मुकाबले बाल अपराधों की संख्या कम है, इसके बावजूद आयोग बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए बहुत गंभीरता से कदम उठा रहा है। पुलिस के अपर महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि उत्तराखंड में आप्रेशन स्माइल के तहत पिछले तीन सालों में 1266 बच्चों का रेस्क्यू किया गया है। बच्चों से जुड़े अपराधों पर पूरे राज्य में तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की व्यवस्था की गई है।
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