माता-पिता को खोकर भी नहीं हारी हिम्मत, अफसर बनी बिटिया

उत्तराखंड की मोनिका राणा ने कायम की मिसाल, दूसरी बार में बन गई अफसर

कौन कहता है कि आसमान में सुराख हो नहीं सकता,

एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो

दून की बेटी मोनिका राणा भी इन्हीं में एक है। जिन्होंने माता-पिता को खोने के बाद भी अपना लक्ष्य नहीं खोया। पहले एमबीबीएस पास की और अब सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की है।

 

उन्होंने वर्ष 2008 में 88 प्रतिशत अंक के साथ बारहवीं की। इसके बाद मेडिकल की तैयारी की। वर्ष 2015 में उन्होंने मद्रास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस पूरा किया। अब सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने 577 रैंक हासिल किया है। उनकी इस सफलता के अलग मायने हैं। क्योंकि जिंदगी के तमाम उतार चढ़ाव के बीच यह मुकाम उन्होंने हासिल किया है। पांच वर्ष पूर्व उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ जिसने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया। पिता गोपाल सिंह राणा आइएफएस थे और वन संरक्षक के पद पर तैनात थे। वर्ष 2012 में उन्होंने अपने पिता और मां इंद्रा राणा को एक सड़क हादसे में खो दिया। यह क्षण जिंदगी में अल्प विराम की तरह आया। एक बारगी लगा कि सबकुछ खत्म हो चुका है। लेकिन मोनिका ने हौसला नहीं हारा और आगे कदम बढ़ाए। उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई और फिर सिविल सेवा की तैयारी की।

 

वह बताती हैं कि इससे पहले भी दो बार परीक्षा दे चुकी हैं। वर्ष 2015 और फिर 2016 में एग्जाम दिया, पर प्रारंभिक परीक्षा में असफल रही। लगातार मिली इन असफलता के बाद उन्होंने ठान लिया कि लक्ष्य हर हाल में हासिल करना है। दिल्ली में रहकर सिविल सेवा की तैयारी की और इस बार सफलता कदम चूम रही है। मोनिका मूल रूप से जौनसार भावर क्षेत्र से हैं। वह अपनी मां को अपना रोल मॉडल मानती हैं। मोनिका कहती हैं कि एक अधिकारी के तौर पर वह स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाना चाहती हैं। क्योंकि उन्होंने एमबीबीएस किया है, इसलिए स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए कई विचार जहन में हैं।

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