देश के 1000 वैज्ञानिकों को पीछे छोड़ दिया उत्तराखंड के इस यंग साइंटिस्ट ने

CSIR Young Scientist Research Project में SGRR PG College के डा. अरुण पहले स्थान पर

csir young scientist

देश के आईआईटी, आईआईएससी, जेएनयू, बीएचयू, डीयू, एएमयू जैसे नामी संस्थानों में रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों को देहरादून के एक यंग साइंटिस्ट ने पीछे छोड़ दिया है। आज उनकी इस कामयाबी पर न केवल उत्तराखंड बल्कि श्री दरबार साहिब भी फख्र कर रहा है।

एसजीआरआर पीजी कालेज देहरादून के बॉटनी डिपार्टमेंट के डा. अरुण जोशी ने सीएसआईआर यंग साइंटिस्ट प्रोजेक्ट के लिए एप्लाई किया था। डा. अरुण जैसे देशभर से 1000 वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट के लिए एप्लाई किया। इनमें से सीएसआईआर ने टॉप-10 को इंटरव्यू के लिए बुलाया था।

इंटरव्यू होने के बाद देशभर से केवल 6 यंग साइंटिस्ट के प्रोजेक्ट को सीएसआईआर ने बेहतर पाया। इनके रिसर्च का पूरा खर्च सीएसआईआर की ओर से वहन किया जाएगा। डा. अरुण के प्रोजेक्ट को इस लिस्ट में पहला स्थान मिला है।

डा. अरुण का यह प्रोजेक्ट अर्थ साइंसेज रिसर्च पर आधारित है। उनका कहना है कि हमारे देश में जो कोयले की खदाने हैं, वह बेहद प्राचीन हैं। जिस वनस्पति से यह कोयला बना है, वह अफ्रीकी देशों के मुकाबले ज्यादा बेहतर है। उनका यह रिसर्च इसी पर आधारित होगा, जिसमें वह यह देखेंगे कि भारत में कोयला बनी वनस्पतियों की क्या खासियत है।

डा. अरुण जोशी ने सीएसआईआरए प्रोजेक्ट में पहला स्थान आने के बाद श्री दरबार साहिब पहुंचकर मत्था टेका व श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल वसंत विहार में प्राइमरी से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की है। श्री गुरु राम राय एजुकेशन मिशन प्रबन्धन ने एसजीआरआर के पूर्व छात्र को इस उपलब्धि पर हार्दिक बधाई दी है। डा. अरुण जोशी को बीरबल साही इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियोबॉटनी (बीएसआईटी) लखनऊ से वर्ष 2016 में पीएचडी अवार्डेड की गई। डा. अरुण जोशी ने वनस्पति विज्ञान में पीएचडी की है। श्री महाराज जी ने डा. अरुण जोशी को इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि उन्हें शोध कार्यों के लिए एसजीआरआर विश्वविद्यालय से हर सम्भव सहयोग प्रदान किया जाएगा।

 

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