हिंदी मीडियम से पढ़ने वाले अमन ने मेडिकल exams में तोड़ दिए रिकॉर्ड

Baluni Classes Dehradun से कोचिंग करने वाले अमन जुयाल सबके लिए मिसाल

बलूनी क्लासेज देहरादून में अमन जुयाल को सम्मानित करते एमडी विपिन बलूनी।

12वीं तक कि पढ़ाई हिंदी मीडियम से करने के बाद अंग्रेज़ी में NEET और AIIMS की तैयारी करना ही सबसे बड़ी चुनौती होता है। लेकिन यहां उत्तराखंड के इस होनहार ने न केवल इस चुनौती को पार किया बल्कि दोनों प्रवेश परीक्षाओं में कामयाबी के झंडे गाड दिए। अमन जुयाल हम सबके लिए मिसाल है।

आजकल अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूल में बच्चों को पढ़ाना स्टेटस सिंबल बन गया है। हालात यह कि मध्यम तो ठीक निम्न मध्यम वर्ग भी अपनी आर्थिक ताकत से बाहर जाकर अपने बच्चों के भविष्य की खातिर उनका दाखिला निजी स्कूलों में करा रहे हैं। पर टिहरी विस्थापित एक परिवार के बेटे अमन जुयाल ने सरकारी व हिंदी मीडियम स्कूलों से परहेज करने वाले तमाम लोगों को आईना दिखाया है। NEET व जीबी विवि की प्रवेश परीक्षा के बाद अब AIIMS MBBS प्रवेश परीक्षा में भी उन्होंने प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है।

अमन के पिता मनोज कुमार राजकीय इंटर कॉलेज कमांद में शिक्षक हैं। जबकि मां अनीता जुयाल प्राथमिक विद्यालय कमांद में शिक्षिका हैं। अमन ने 11वीं तक की पढ़ाई जीआईसी कमांद, टिहरी से की। वर्ष 2017 में सुभाष इंटर कॉलेज, थौलधार से 91.6 प्रतिशत अंकों के साथ 12 वीं की।

इसके बाद वह मेडिकल की तैयारी में जुट गए। एक साल घर रहकर सेल्फ स्टडी की। गत वर्ष वह दून आए और यहां बलूनी क्लासेज में दाखिला लिया। पिछली बार अपेक्षा के अनुरूप सफलता नहीं मिली थी। जिस पर वह फिर जी जान से जुट गए। इस बार नीट, जीबी पंत विवि की प्रवेश परीक्षा व एम्स में उन्होंने शानदार सफलता अर्जित की है। अपनी सफलता से यह भी साबित कर दिया कि उचित मार्गदर्शन मिले तो सरकारी स्कूलों के छात्र भी उच्चस्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

अमन की इच्छा अब न्यूरो सर्जन बनने की है। वह उत्तराखंड के दुरुह क्षेत्रों में सेवा देना चाहते हैं। बलूनी क्लासेज के एमडी विपिन बलूनी का कहना है कि प्राइवेट स्कूल या अंग्रेजी माध्यम से नहीं बल्कि सफलता परिश्रम, लग्न व दृढ़ निश्चय के बूते मिलती है। अमन ने यह साबित कर दिखाया है।

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