यहां पांचवीं के बच्चे नहीं पढ़ पाते दूसरी का पाठ

प्रथम एजूकेशन फाउंडेशन की असर रिपोर्ट में सामने आई उत्तराखंड की स्कूली शिक्षा की बदहाली

 

उत्तराखंड में शिक्षा को क्वालिटी एजूकेशन बनाना पहाड़ जैसी ही चुनौती है। प्रदेश में स्कूली शिक्षा लगातार गिरावट की ओर बढ़ रही है। प्रथम एजूकेशन फाउंडेशन की असर रिपोर्ट 2017 में ऐसे ही कई खुलासे सामने आए हैं। इसके मुताबिक पांचवीं कक्षा के बच्चे यहां दूसरी कक्षा का पाठ भी ढंग से नहीं पढ़ पाते हैं। उत्तराखंड के 323 स्कूलों में सर्वे के आधार पर यह रिपोर्ट जारी हुई है।

 

यह है रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • कक्षा पांच के 48 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो कि कक्षा दो पाठ नहीं पढ़ पाते।
  • सरकारी स्कूलों में कक्षा दो का पाठ पढ़ने वाले पांचवीं के बच्चों का प्रतिशत वर्ष 2010 में 63.7 था जो कि 2016 में घटकर 56.1 प्रतिशत पर आ गया।
  • प्रदेश में 15 से 16 आयुवर्ग के 8.6 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो कि स्कूल नहीं जाते।
  • छह साल के 3.6 प्रतिशत बच्चों का आज तक स्कूल में दाखिला नहीं हुआ।
  • कक्षा तीन के 23.7 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो कि शब्द तक नहीं पढ़ पाते।
  • कक्षा तीन के 63 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो कि कक्षा दो के गणित के सवाल नहीं हल कर पाते।
  • कक्षा पांच के 63 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो कि भाग के सामान्य सवाल नहीं हल कर सकते।
  • कक्षा आठ के 54 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो कि भाग के सवाल नहीं हल कर सकते।
  • वर्ष 2010 में 32.4 प्रतिशत कक्षा तीन के बच्चे घटाव के सवाल हल कर सकते थे। 2016 में यह आंकड़ा गिरकर 23.3 प्रतिशत पर आ गया है।
  • निजी स्कूलों के बच्चों में ट्यूशन की प्रवृत्ति साल दर साल बढ़ रही है। कक्षा एक से पांच तक के 15.2 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो कि ट्यूशन लेते हैं। गत वर्ष यह आंकड़ा 14.2 प्रतिशत था। सरकारी स्कूलों में यह तादाद अपेक्षाकृत कम है।
  • कक्षा पांच के 62 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो कि अंग्रेजी के सामान्य वाक्य नहीं पढ़ पाते।
  • कक्षा आठ के 46.5 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो कि अंग्रेजी के सामान्य वाक्य नहीं पढ़ पाते।

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