Uttarakhand Trivendra Government Changed Name of Kotdwar
उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने पौड़ी जिले के मशहूर शहर कोटद्वार का नाम बदल दिया है। बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नगर निगम कोटद्वार का नाम परिवर्तित कर दिया है। ऐसे में अब नगर निगम कोटद्वार को ‘कण्व नगरी कोटद्वार’ के नाम से जाना जाएगा। यह नाम कण्व ऋषि के नाम पर रखा गया है।
उत्तराखंड राज्य में किसी भी क्षेत्र का नाम बदलने का यह पहला मामला नहीं है बल्कि इससे पहले भी कोटद्वार के ही कलालघाटी का भी नाम बदला गया है। क्योंकि नगर निगम कोटद्वार ने पिछले साल कलालघाटी का नाम बदलने का प्रस्ताव शासन को भेजा था. जिसके बाद पिछले साल ही दिसंबर महीने में उत्तराखंड राज्य सरकार ने कलालघाटी का नाम बदलकर कण्वघाटी कर दी थी। जिसके बाद कलालघाटी अब कण्वघाटी नाम से जाना जा रहा है।
हालांकि, नगर निगम कोटद्वार के नाम को परिवर्तित करने को लेकर, नगर निगम कोटद्वार ने बीते दिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रस्ताव भेजा गया था। जिस पर मुख्यमंत्री ने मुहर लगा दी है। ऐसे में अब नगर निगम कोटद्वार, कण्व नगरी कोटद्वार के नाम से जाना जाएगा। महर्षि कण्व की तपस्थली और चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम कोटद्वार में ही मौजूद है। यही वजह है कि कोटद्वार शहर को महर्षि कण्व के नाम से भी जाना जाता रहा है।
पहले कलालघाटी का भी बदला गया नाम
पौड़ी गढ़वाल जिले के प्रवेश द्वार कोटद्वार स्थित कलालघाटी का भी नाम बदला गया है। उसे अब कण्वघाटी के नाम से जानी जा रहा है। कोटद्वार नगर निगम ने कलालघाटी का नाम बदलकर कण्वघाटी करने के शासन को प्रस्ताव भेजा था, जिसपर पिछले साल दिसंबर में मुहर लगाई थी।
कण्वाश्रम चारों वेदों, व्याकरण, छन्द, निरुक्त, ज्योतिष, आयुर्वेद, शिक्षा तथा कर्मकाण्ड इन ६ वेदांगों के अध्ययन-अध्यापन का प्रबन्ध था। आश्रमवर्ती योगी एकान्त स्थानों में कुटी बनाकर या गुफाओं के अन्दर रहते थे। यह कण्वाश्रम कण्व ऋषि का वही आश्रम है जहां हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त तथा शकुन्तला के प्रणय के पश्चात “भरत” का जन्म हुआ था, कालान्तर में इसी नारी शकुन्तला पुत्र भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। शकुन्तला ऋषि विश्वामित्र व अप्सरा मेनका की पुत्री थी। पौड़ी गढ़वाल जिले के प्रवेश द्वार कोटद्वार स्थित कलालघाटी का भी नाम बदला गया है।
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