1100 ग्राम के बच्चे की सफल दुर्लभ सर्जरी कर श्री महंत इंद्रेश अस्पताल के डॉक्टरों ने बचाई जान

Shri Mahant Indresh Hospital के डॉक्टरों ने किया दुर्लभ ऑपरेशन, 8वें महीने प्री मेच्योर बच्चे के नहीं थी आहार नाल

Shri mahant hospital pediatric surgery

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के शिशु शल्य चिकित्सक (पीडियाट्रिक सर्जन) व टीम ने समय से पहले पैदा हुए 11 ग्राम के बच्चे की सफल दुर्लभ सर्जरी की। यह केस इस लिए लिए भी दुर्लभ है क्योंकि बच्चे का जन्म आठवें महीने में ही हो गया था जन्म के समय बच्चे का वजनसामान्य बच्चे वजन की तुलना में काफी कम था। सामान्यतः नवजात शिशु का वजन जन्म के समय 2 से 3 किलोग्राम होता है। ऑपरेशन के बाद बच्चे को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में बेहतर आईसीयू केयर मिलने से बच्चे की जान बचाई जा सकी।

जन्मजात आहार नाल न होने के कारण शिशु को आई.वी. फ्यूल्ड से तरल पदार्थ दिया जा रहा था। सुखद बात यह है कि सफल सर्जरी व आहार नाल बन जाने के बाद शिशु स्तनपान (ब्रेस्ट फीडिंग) व बोतल से दूध पी रहा है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने डाॅ मधुकर मलेठा व उनकी टीम को सफल आॅपरेशन कर बच्चे की जान बचाने के लिए बधाई दी।

Shri mahant hospital pediatric surgery

काबिलेगौर है कि 09 अक्टूबर 2021 को खटीमा, उधमसिंह नगर निवासी एक महिला ने शिशु (लड़का) को जन्म दिया। समय से पूर्व जन्में इस शिशु की प्रारम्भिक जाॅचों में यह बात सामने आई कि नवजात शिशु की आहार नाल नहीं है। माता पिता शिशु को उपचार के लिए श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां शिशु को शिशु शल्य चिकित्सक (पीडियाट्रिक सर्जन) डाॅ मधुकर मलेठा की देखरेख में भर्ती करवाया गया।

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के शिशु शल्य चिकित्सक डाॅ मधुकर मलेठा ने बच्चे की जाॅच करवाई तो पता चला कि शिशु को इसोफेडियल अट्रीसिया विद डबल फिस्टूला बीमारी है। आॅकड़ों पर गौर करें तो साढ़े चार हजार में से एक बच्चे में ही इस तरह की बीमारी पाई जाती है। इस बीमारी की वजह से बच्चे की आहार नाल नहीं बन पाती है व सांस की नली से जुड़ी होती है। इसोफेडियल अट्रीसिया विद डबल फिस्टूला अति दुर्लभ ( इसोफेडियल अट्रीसिया विद डबल फिस्टूला बीमारी से पीडि़त शिशुओं में से केवल एक प्रतिशत मामलों में ही) मामलों में नवजात शिशुओं में पाई जाने वाली बीमारी है।

डाॅ मधुकर मलेठा व उनकी टीम ने 3 घण्टे तक चले ऑपरेशन में नवजात बच्चे की आहार नाल बनाई दूसरा सांस की नली से जो अतिरिक्त हिस्सा अवरोधक था, सर्जरी के दौरान उसे सांस नली से हटाया। ऑपरेशन को सफल बनाने में अस्पताल की वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ रागिनी सिंह, डाॅ नितेश, डाॅ भारती एनेस्थिीसिया विभाग की डाॅ कायजाॅम व ऑपरेशन थियेटर स्टाफ रत्ना, कालसंग व प्रदीप का भी सहयोग रहा।

“नवजात शिशु (लड़के) के माता-पिता बच्चे को सही समय पर उपचार के लिए लेकर आए। अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए उपलब्ध आईसीयू व आधुनिक मशीनों के सहयोग ने ऑपरेशन को सफल बनाने व शिशु को नया जीवन देने में महत्वपूर्णं भूमिका निभाई। यदि माता पिता जागरूक न होते और समय रहते शिशु को उपचार नहीं मिलता तो शिशु की जान भी जा सकती थी।“ –डाॅ मधुकर मलेठा, एम.सी.एच., शिशु शल्य सर्जन (पीडियाट्रिक सर्जन), श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल, पटेल नगर, देहरादून

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