इतना होगा आपके बच्चे के स्कूल बैग का वजन, पढ़ें सरकार की स्कूल बैग नीति

School Bag Policy 2020 : NCERT ने पूरे शोध के बाद तैयार की है यह नीति, सभी राज्यों में होगी लागू

मुझ से भारी मेरा बस्ता
कर दी मेरी हालत खस्ता,
इसे उठाकर चलना मुश्किल
सभी किताबें पढ़ना मुश्किल।।

बच्चों की इस कविता में छिपा बस्ते के बोझ का दर्द अब और सहन नहीं करना पड़ेगा। सरकार ने बच्चों की कक्षा के हिसाब से बस्ते का वजन तय कर दिया है। इससे मासूमों को बड़ी राहत मिलेगी।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की ओर से दिसम्बर में ‘स्कूल बैग नीति, 2020’ (School Bag Policy 2020) जारी की गई थी। सरकार ने इस नीति को पूरे देश में लागू करने के लिए पत्र भेजा है।

अब यह होगा नियम
◆शिक्षकों के लिये यह अनिवार्य है कि वे छात्रों को पहले से ही यह सूचित करें कि किसी विशिष्ट दिवस पर कौन-सी किताबें और नोटबुक स्कूल में लानी हैं। साथ ही शिक्षक समय-समय पर यह भी जाँच करेंगे कि छात्र अनावश्यक किताबें या नोटबुक तो नहीं ला रहे हैं।

◆विद्यालय प्रबंधन का यह कर्त्तव्य और दायित्त्व है कि वे सभी छात्रों को पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण पीने योग्य पानी उपलब्ध कराएँ, ताकि छात्रों को अपने घर से पानी की बोतल लाने की आवश्यकता न हो।

◆इस नीति में कक्षा- I से XII तक के छात्रों के होमवर्क और उनके बैग के वज़न से संबंधित दिशा-निर्देश शामिल किये गए हैं। नीति के मुताबिक, कक्षा I से X तक के छात्रों का स्कूल बैग उनके शरीर के वजन के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिये। पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों के लिये स्कूल बैग होना ही नहीं चाहिये।

◆कक्षा II तक के छात्रों को कोई भी होमवर्क नहीं दिया जाना चाहिये, जबकि कक्षा III से V तक के छात्रों को प्रति सप्ताह अधिकतम दो घंटे, कक्षा VI से VIII तक के छात्रों को प्रति दिन अधिकतम एक घंटे और कक्षा IX तथा उससे अधिक के छात्रों को प्रतिदिन अधिकतम दो घंटे का ही होमवर्क दिया जाना चाहिये।

◆इस नीति में विद्यालयों के लिये अवसंरचनात्मक बदलाव की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है, क्योंकि छात्र प्रतिदिन कई सारी पुस्तकें साथ ले जाने में सक्षम नहीं हैं।
स्कूलों को प्री-स्कूल से सीनियर सेकेंडरी तक के छात्रों को लॉकर उपलब्ध कराने चाहिये, ताकि वे कुछ किताबें विद्यालय में ही छोड़ सकें और आवश्यकतानुसार घर ले जा सकें।

◆इसमें कहा गया है कि शिक्षकों को प्रत्येक तीन महीने पर छात्रों के स्कूल बैग के वज़न की जाँच करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिये और माता-पिता को भारी बैग के बारे में जानकारी देनी चाहिये। इसके अनुसार, भारी भरकम किताबों की तुलना में हल्की और कम वज़न वाली किताबों को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।

क्लास वाइज स्कूल बैग का वजन

School bag weight india
बच्चों को बीमार बना रहा भारी बस्ता
भारी स्कूल बैग के कारण बच्चों शरीर पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जो उनके कशेरुक स्तंभ (Vertebral Column) और घुटनों (Knees) को नुकसान पहुँचा सकता है। भारी स्कूल बैग के कारण गर्दन की मांसपेशियों में खिचाव आ सकता है जो सिरदर्द, कंधे के दर्द, पीठ के निचले हिस्से में दर्द और गर्दन तथा हाथ के दर्द का कारण बन सकता है। शरीर मुद्रा (Body Posture) भी काफी हद तक प्रभावित हो सकती है तथा लंबे समय तक यह स्थिति रहने से शारीरिक असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो सकता है।

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