देहरादून के वैज्ञानिकों ने हवा से बनाई ऑक्सीजन, देशभर में काबू होगी ऑक्सीजन की किल्लत

Indian Institute Of Petrolium के वैज्ञानिकों ने ऑक्सीजन का सस्ता सुलभ रास्ता निकाला

IIP Dehradun oxygen plant

लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण(covid cases in india) के बीच देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन(oxygen) की कमी सामने आ रही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने जहां सरकार को ऑक्सीजन की आपूर्ति के निर्देश दिए हैं वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र से जवाब तलब किया है। देश मे गहराते ऑक्सीजन संकट के बीच देहरादून के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम(iip dehradun) से अच्छी खबर आई है।

आईआईपी के वैज्ञानिकों ने हवा से ऑक्सीजन बनाने की मशीन तैयार कर ली है। अच्छी बात यह है कि प्लांट ने काम करना शुरू भी कर दिया है। आईआईपी के अधिकारियों की मानें तो कम खर्चे में देश के किसी भी अस्पताल में इस प्लांट को लगाया जा सकता है।

कारगर है प्लांट की ऑक्सीजन
आईआईपी इस कार्य को महीनों से अंजाम देने की कोशिश कर रहा था। सफलता ऐसे समय में लगी है, जब ऑक्सीजन की पूरे देश को जरूरत है। आईआईटी के वैज्ञानिकों ने हवा से सस्ती ऑक्सीजन तैयार करने की इस तकनीक को पूरा करके कई दिनों तक टेस्टिंग फॉर्मेट में इसे चला कर रखा। जब यह प्रमाणित हो गया कि इस मशीन से बनने वाली ऑक्सीजन कारगर है, तब जाकर इसका विधिवत शुभारंभ किया गया है। कोविड-19 के दौरान आईआईपी की यह खोज ना केवल उत्तराखंड बल्कि देश के लिए राहत भरी खबर लेकर आई है।

एक मिनट में 500 लीटर ऑक्सीजन
काउंसलिंग ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (CSIR-IIP) के वैज्ञानिकों की मानें तो फिलहाल आईआईपी में 01 मिनट में 500 लीटर ऑक्सीजन बनाने वाला प्लांट बनाया गया है। इस ऑक्सीजन से लगभग 40 से 60 बेड वाले अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई की जा सकती है। आईआईपी के डायरेक्टर अंजन रे के मुताबिक, लगभग 100 लीटर प्रति मिनट यूनिट वाले प्लांट में 17 लाख रुपए का खर्चा आएगा।

चार हफ्ते में लगाया जा सकता है प्लांट
अगर इस प्लांट को कहीं पर लगाना है, तो मात्र 04 हफ्ते में इसे लगाया जा सकता है। इस प्लांट के लगने से सीधे अस्पताल में पाइपों में ऑक्सीजन दी जा सकती है। ऐसे में किसी भी सिलेंडर या अन्य उपकरण की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे अस्पतालों और मरीजों को भी काफी राहत मिलेगी।

इस प्रक्रिया से बनती है ऑक्सीजन
सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की कंपनियां ऑक्सीजन प्लांट लगा सकती हैं। ऑक्सीजन गैस क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रॉसेस के जरिए बनती है। यानी हवा में मौजूद विभिन्न गैसों को अलग-अलग किया जाता है, जिनमें से एक ऑक्सीजन भी है। क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रॉसेस में हवा को फिल्टर किया जाता है, ताकि धूल-मिट्टी को हटाया जा सके। उसके बाद कई चरणों में हवा को कंप्रेस किया जाता है। उसके बाद कंप्रेस हो चुकी हवा को मॉलीक्यूलर छलनी एडजॉर्बर से ट्रीट किया जाता है, ताकि हवा में मौजूद पानी के कण, कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन को अलग किया जा सके।

ऐसे बनती है लिक्विड ऑक्सीजन
इस पूरी प्रक्रिया से गुजरने के बाद कंप्रेस हो चुकी हवा डिस्टिलेशन कॉलम में जाती है, जहां पहले इसे ठंडा किया जाता है। यह प्रक्रिया एक प्लेट फिन हीट एक्सचेंजर और टरबाइन के जरिए होती है। उसके बाद 185 डिग्री सेंटीग्रेट (ऑक्सीजन का उबलने का स्तर) पर उसे गर्म किया जाता है, जिससे उसे डिस्टिल्ड किया जाता है।

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