CLAT 2020 Answer Key दोबारा हुई जारी
12वीं के बाद इंटिग्रेटेड एलएलबी और एलएलएम में एडमिशन को होने वाले कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट(CLAT) से तीन सवालों को हटा दिया गया है। चार सवालों के जवाब भी बदल दिए गए हैं। उधर, रिस्पांस शीट में गड़बड़ी के दावे को CLAT एक्सपर्ट कमेटी ने खारिज कर दिया। CLAT के पेपर से तीन प्रश्न हटा दिए गए हैं। ऐसे में मूल्यांकन अब 150 के बजाए 147 अंक पर होगा।
इसके अलावा आंसर-की में चार सवालों के उत्तर बदले भी गए हैं। रिस्पांस शीट में गड़बड़ी का दावा एक्सपर्ट कमेटी ने खारिज कर दिया है। जिससे एग्जाम एक्सपर्ट सहमत नहीं हैं। गत 28 सितंबर को आयोजित क्लैट की आंसर-की उसी दिन रात में जारी कर दी गई थी। CLAT दो घंटे का होता है, जिसमें 150 सवाल पूछे जाते हैं। परीक्षा में हर सही जवाब का एक अंक है और गलत जवाब पर 0.25 अंक काट लिया जाता है।
आंसर-की को देख विशेषज्ञों ने दावा किया कि आंसर-की के लिहाज से गणित के पांच, जीके के दो, लीगल रीजनिग का एक व लॉजिकल रीजनिग के दो सवाल में गड़बड़ी है। अब एक्सपर्ट कमेटी ने तमाम दावों का निस्तारण करते हुए क्वांटिटेटिव टेक्नीक में प्रश्न संख्या 146, 147 व 150 को पेपर से हटा दिया है। इसके अलावा अंग्रेजी में प्रश्न संख्या 8, करेंट अफेयर्स में प्रश्न संख्या 35 और क्वांटिटेटिव टेक्नीक में प्रश्न संख्या 148 व 149 की आंसर-की बदल दी गई है। इसके अलावा कई अभ्यर्थियों ने रिस्पांस शीट को लेकर भी सवाल उठाए थे। उनके द्वारा कहा गया कि रिस्पांस शीट में कुछ प्रश्नों के उत्तर बदल गए हैं। पर एक्सपर्ट कमेटी ने अभ्यर्थियों के अॉडिट ट्रेल के आधार पर इस दावे को खारिज कर दिया है। कहा गया है कि मार्क्ड फॉर रिव्यू के आधार पर किसी प्रश्न का मूल्यांकन मुमकिन नहीं है। इस बात के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि सेव एंड नेक्स्ट पर क्लिक करने पर ही प्रश्न हल माना जाएगा।
परीक्षा में किसी भी तरह की तकनीकी दिक्कत नहीं रही है। बल्कि उदाहरण ऐसे भी हैं जहां अभ्यर्थी ने अपना रिस्पांस छह दफा बदला है। जिसमें छठीं बार का रिस्पांस ही रिकॉर्ड पर है। लॉ प्रेप देहरादून(Law Prep) के निदेशक एसएन उपाध्याय का कहना है कि इस मामले की और गहनता से पड़ताल होनी चाहिए। क्योंकि कुछ छात्र कह रहे हैं कि उनके अंक बढ़ गए हैं, जबकि कुछ को उनक प्रश्नों के भी नंबर मिल गए हैं जो उन्होंने किए ही नहीं। जांच नहीं हुई तो ऐसे छात्र दाखिले से वंचित रह जाएंगे जो इसके असल हकदार हैं।