Uttarakhand Uniform Civil Code : विधायक दल के नेता बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने दोहराई अपनी घोषणा
उत्तराखंड में नए यानी प्रदेश के 12वें मुख्यमंत्री के नाम का असमंजस आखिर खत्म हो गया। सोमवार को विधायक दल की बैठक के बाद पुष्कर सिंह धामी को ही दोबारा नेता चुन लिया गया। वह 23 मार्च को उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे।
सोमवार को भारी उत्साह और कार्यकर्ताओं के उल्लास के बीच पुष्कर धामी आने सीएम आवास पहुंचे। यहां उनकी माता और पत्नी ने पुष्प वर्षा करके उनका जोरदार स्वागत किया। माता ने आरती उतारी और खीर भी खिलाई।
इस दौरान नेता सदन पुष्कर धामी ने मीडिया से खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान जो वादे किए गए थे, वह पूरे किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी घोषणा उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने की हुई थी, जिसकी प्रक्रिया का है जल्द शुरू कर देंगे। आपको बता दें कि समान नागरिक संहिता अभी तक केवल गोवा में लागू है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का सीधा मतलब है कि देश के हर नागरिक के लिए एक समान कानून। फिर भले ही वह किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो। फिलहाल देश में अलग-अलग मजहबों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर धर्म के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा।
क्या है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक आचार संहिता यानी Uniform Civil Code के बारे में संविधान के अनुच्छेद-44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी है इस कानून को लागू करना पर अभी ये लागू नहीं हो पाया है। इस बारे में संविधान का भी कहना है कि सरकार विचार विमर्श करें। गोवा राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है। देश में कई मामलों के लिए भी यूनिफॉर्म कानून है। लेकिन अगर बात शादी, तालाक जैसे मुद्दों की करें तो अब भी पर्सनल लॉ के अनुसार ही फैसला होता है।
भाजपा ने 2014 आम चुनाव में घोषणापत्र में किया था शामिल
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जो 2014 से सत्ता में है, ने अपने आम चुनावी घोषणापत्र में कहा था कि, “बीजेपी का मानना है कि जब तक भारत एक समान नागरिक संहिता को नहीं अपनाता है, तब तक देश में लैंगिक समानता नहीं आ सकती है, यह देश की सभी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है और भाजपा एक समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो सर्वोत्तम परंपराओं पर आधारित है और उन्हें आधुनिक समय के साथ सामंजस्य स्थापित करने का मौका देती है.”हालांकि वास्तविकता में, ऐसा नहीं हुआ है और हाल ही में वर्तमान सरकार ने विवाह के लिए बालिकाओं की आयु बढ़ाकर 21 वर्ष करने जैसे उपाय किये हैं, जो लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए एक सराहनीय कदम कहा जा सकता है।
वर्तमान में चल रहा है ये कानून
चल रहे समय में हर धर्म के लोगों से जुड़े मामलों को पर्सनल लॉ के माध्यम से सुलझाया जाता है। हालांकि पर्सनल लॉ मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का है जबकि जैन, बौद्ध, सिख और हिंदू हिंदू सिविल लॉ के तहत आते हैं।
किन देशों में लागू है ये यूनिफॉर्म सिविल कोड
तुर्की
सूडान
इंडोनेशिया
मलेशिया
बांग्लादेश
इजिप्ट
पाकिस्तान
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