लिंगदोह समिति की सिफारिशों में बदलाव कर रही है उत्तराखंड की सरकार
यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में होने वाले स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन में अब नए नियम लागू होने जा रहे हैं। उत्तराखंड की सरकार लिंगदोह समिति की सिफारिशों में कई बड़े बदलाव किए जाएंगे।
लिंगदोह समिति की सिफारिशें 2006 में लागू हुई थी। इन सिफारिशों में बदलाव के लिए राज्य सरकार को पांच साल बाद का समय दिया गया था।
उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी के अध्यक्ष उत्तराखंड की दो यूनिवर्सिटीज के कुलपति प्रो. एचएस धामी होंगे। यह कमेटी, लिंगदोह समिति की सिफारिशों में बदलाव पर काम करेगी।
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड में छात्रसंघ अध्यक्ष का कार्यकाल एक के बजाए दो वर्ष होगा। यानी एक बार छात्रसंघ अध्यक्ष चुना जाएगा तो सीधे दो साल तक रहेगा।
लिंगदोह समिति की सिफारिशों के तहत आयु सीमा भी बदली जाएगी। अभी तक ग्रेजुएशन में 22 वर्ष से अधिक आयु वाला छात्र चुनाव नहीं लड़ सकता है। सरकार इस आयु सीमा को भी बदलने जा रही है। इसके अलावा चंूकि लिंगदोह समिति की सिफारिशों के हिसाब से केवल 5000 रुपये खर्च होने चाहिएं, सरकार इस खर्च की सीमा को भी बढ़ा सकती है।
सरकार की यह कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी। इस रिपोर्ट को उत्तराखंड की कैबिनेट में पेश किया जाएगा। कैबिनेट की मुहर लगने के बाद नियम बदल जाएंगे। लिंगदोह समिति की सिफारिशों में बदलाव करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन जाएगा।
यह हैं लिंगदोह की सिफारिशें
- चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 75 परसेंट उपस्थित होनी चाहिए।
- यूजी में उम्र सीमा 22 वर्ष और पीजी में उम्र सीमा 25 वर्ष है। इससे ज्यादा पर चुनाव नहीं लड़ सकते।
- चुनाव केवल वही लड़ सकता है जो कि रेगुलर स्टूडेंट हो। बैक पेपर या प्राइवेट वाले छात्र को मौका नहीं मिलेगा।
- कैंडिडेट के खिलाफ कोई क्रिमिनल केस न हो। मुकदमा या सजा या कॉलेज स्तर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई न हुई हो।
- एक कैंडिडेट अधिकतम 5000 रुपये खर्च कर सकता है।
- प्रिंट पोस्टर, पंफ्लेट आदि का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में नहीं कर सकते हैं।
- लाडस्पीकर, वाहन आदि का प्रचार में प्रयोग नहीं कर सकते।