वाह : अब न पॉलिथीन बनेगी खतरा और न जंगली घास करेगी परेशान

उत्तराखंड अल्मोड़ा आवासीय विश्वविद्यालय-इन्डस्ट्री पार्टनर RI Instruments and Innovation Company की नई पेटेंट खोज के लिए एक कंपनी ने किया करार

uttarakhand almora university

पर्यावरण के लिए सबसे घातक पॉलिथीन हो या जंगली जमीनों और वनस्पतियों के लिए जंगली घास। अब यह परेशान नहीं करेंगे बल्कि इनके निस्तारण से लाखों-करोड़ों की कमाई होगी। अपने इन्डस्ट्री पार्टनर RI Instruments and Innovation Company के सहयोग से यह कारनामा किया है सामाजिक सरोकारों के तहत शोध को बढ़ावा देने वाले उत्तराखंड अल्मोड़ा विश्वविद्यालय ने। कैसे, आपको बताते हैं।

आवासीय विवि की टीम ने जंगली घास जैसे लैंटेना और पॉलिथीन आदि के निस्तारण की एक तरकीब निकाली। इस तरकीब का पेटेंट भी विवि के नाम हो गया। अब इसका नेशनल पेटेंट हो गया है। इसके तहत इन सभी हानिकारक चीजों सेएक मिश्रण तैयार होता है, जिसमें बायोफ्यूल और ग्राफीन ऑक्साइड निकलती है। ग्राफीन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 2.50 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है। ग्राफीन से विवि ने कई चीजें बनाई हैं, जिसमें टाइल्स से लेकर मास्क तक शामिल हैं।

ग्राफीन ऑक्साइड को पेटेंट करा लिया है। पहली बार विवि की ओर से इसे कॉमर्शियलाइज किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी अपने पेटेंट से पैसा कमाएगी। एक कंपनी को इसका ट्रायल लाइसेंस दे दिया है। अगर सबकुछ ठीक चला तो उस कंपनी से सालाना टर्नओवर का 2 प्रतिशत हिस्सा विवि को मिलना शुरू हो जाएगा। आईआईटी के बाद उत्तराखंड की यह पहली यूनिवर्सिटी है जो कि अपने पेटेंट से आय का अर्जन कर रही है।

यह नेशनल पेटेंट भी हो गया है। पेटेंट का नाम सिंथेसिस ऑफ ग्राफीन अलोंग विद बायोफ्यूल फ्रॉम पॉलिमर वेस्ट प्रॉसेस्ड विद एनाफलीस बुसुआ एंड लैंटाना कैमरा इन ए क्लोज्ड लूप रिएक्टर। विवि जल्द ही कई और नए पेटेंट कराने की दिशा में काम कर रहा है। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. एचएस धामी का कहना है कि शोध ऐसा होना चाहिए जो कि स्थानीय समस्याओं के निराकरण के साथ ही आय का साधन भी बने। इसी सोच के साथ विवि शोध को बढ़ावा दे रहा है।

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