श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने रंग भरने के कार्य में स्वयं दी सेवा। भित्ती चित्रों के रखरखाव, संरक्षण एवम् संवद्धन को लेकर श्री महाराज जी की विशेष पहल। कई महीनों से चल रहं कार्य को मेला आयोजन से पूर्व सम्पन्न किया गया
श्री झण्डा जी मेला आयोजन में शामिल होने के लिए देश विदेश से पहुंच रही संगतों के स्वागत के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। संगतों के स्वागत के लिए श्री दरबार साहिब का कोना कोना चमकाया जा रहा है। रंग रोगन व दिल को छू देने वाली साज सज्जा से श्री दरबार साहिब की आभा इन दिनों आकर्षण का मुख्य केन्द्र बनी हुई है। काबिलेगौर है कि श्री दरबार साहिब की दीवारांे पर सुशोभित शताब्दियों पूर्व कलाकारों द्वारा बनाए गए भित्ती चित्र सदैव ही आगन्तुकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहे हैं। श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने इन भित्ती चित्रों की साज सज्जा, रखरखाव तथा संरक्षण एवम् संवद्धन का बीडा स्वयं उठाया है।
श्री महाराज जी ने भित्ती चित्रों की सजावट व रंग भरने के कार्य में स्वयं सेवा दी। उन्होंने विशेषज्ञ कलाकारों के साथ स्वयं ब्रश उठाकर भित्ती चित्रों पर रंग भरे। विगत कई माह से भित्ती चित्रों को संरक्षित एवम् सवंद्धित करने के लिए एक विशेष टीम श्री दरबार साहिब में काम करी रही है, भित्ती चित्रों पर संचालित कार्य अब पूरा हो चुका है। इस वर्ष श्री झण्डे जी मेले आयोजन में पहुंच रही संगतें इन भित्ती चित्रों के खूबसूरत रूप एवम् आकर्षक स्वरूप से रूबरू हांेगी। इन भित्ती चित्रों को पानी, धूल, प्रदूषण, धूप व मौसम की मार से बचाने के लिए विशेष तकनीक का सुरक्षा आवरण लगाया गया है।
काबिलेगौर है कि श्री दरबार साहिब के ऐतिहासिक पक्ष के साथ श्री दरबार साहिब की दीवारों पर लगे भित्ती चित्रों का गहरा नाता है। शताब्दियों पूर्व बनाए गए इन भित्ती चित्रों के माध्यम से रामायण काल, महाभारत काल, कई भगवानों व देवी देवताओं के चित्रों , संत संमाज के दार्शनिक पक्ष का मनमोहक चित्रण किया गया है। इतिहास के कई कालखण्डों को भित्ती चित्रों के संदेशों से दर्शाया गया है। यह चित्र अपने आप में बहुत कुछ कहते हैं। टिहरी की नथ को जिस स्वरूप में दर्शाया गया है वह अपने आप में पहाड़ की सजीवता को स्पर्श करने वाला संदेश देती है। श्री दरबार साहिब के करीब 346 वर्षों के इतिहास को यह भित्ती चित्र कई उदाहरणों से सजीव करने का काम कर रहे हैं।
टैंपरा तकनीक भित्ती चित्र बनाने की एक पारंपरिक तकनीक है। ऐतिहासिक इमारतों पर भित्ती चित्रों को तैयार करने में यह तकनीक आज भी बहुत प्रचलित व पसंदीदा तकनीक है। टैंपरा चित्रण की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें संश्लेषयुक्त पदार्थ (बाइंडिंग मैटीरियल के साथ) जलीय रंगों (वाटर कलर तकनीक) का प्रयोग करते हैं। इसमें किसी भी प्रकार के हानिकारिक रसायनिक रंगों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इन रंगों का प्रभाव दीघ्रकालिक होता है। विभिन्न प्रजातियों की दुर्लभ वनस्पितियों से प्राकृतिक रंगों को तैयार श्री दरबार साहिब की दीवारों के भित्ती चित्रों पर उकेरा गया है।
श्री दरबार साहिब के सज्जादनशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि भित्ती चित्रों का संरक्षण एवम् संवद्धन हम सब की जिम्मेदारी है। उन्होंने मेले के दौरान आने वाली संगतों व दूनवासियों का आह्वाहन किया कि इन भित्ती चित्रों की सुन्दरता को निहारें और इनमें छिपे संदेशों को आत्मसात करें। इतिहास के विद्यार्थी व शोधार्थी इन भित्त चित्रों से जुड़ी महत्वपूर्णं जानकारियां लेकर अपने शोधपत्रों में वर्णित कर सकते हैं व सब का ज्ञानवद्धन कर सकते हैं।
श्री झण्डा साहिब मेला आयोजन समिति ने सभी आगन्तुकों एवम् संगतों से अनुग्रह किया है कि भित्ती चित्रों को छूने से बचें, बच्चे भित्ती चित्रों के साथ छेड-छाड़ न करें। यह बेहद दुर्लभ धरोहर है। आने वाली पीढ़ियों को यह धरोहर श्री दरबार साहिब के स्वर्णिम, पवित्र एवम् गौरवशाली इतिहास की याद दिलाएगी व उन्हें शिक्षित करेगी।
Read Also : अराईयांवाला, हरियाणा में श्री गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों से निहाल हुई संगतें
Read Also : इस साल दिल्ली निवासी बलजिंदर सिंह सैनी चढ़ाएंगे दर्शनी गिलाफ, 2121 तक की बुकिंग
Read Also : श्री झण्डे जी मेले में जुटेंगी लाखों संगतें, शेड्यूल जारी
Read Also : आत्मनिर्भर समाज में आत्मनिर्भर महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्णं
Read Also : 26 विषयों के लिए एसजीआरआर विवि में हुई पीएचडी प्रवेश परीक्षा
Read Also : भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने श्री दरबार साहिब में टेका मत्था
Read Also : ये हैं उत्तराखंड के सबसे अमीर और सबसे गरीब विधायक
Read Also : यूपी-उत्तराखंड में असल में भाजपा, कांग्रेस, सपा व अन्य को मिली इतनी सीटें, जारी हुए अंतिम आंकड़े