इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में सरकार करेगी कुछ बड़े बदलाव
देशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए होने वाली जेईई मेन परीक्षा में कई बदलाव होने वाले हैं। इसकी तैयारी की जा रही है। यह चेंज होने से निश्चित तौर पर रिजल्ट में भी बदलाव नजर आएगा।
JEE Main में एक बदलाव तो रैंकिंग से संबंधित है और दूसरा परीक्षा के माध्यम और फॉर्मेट से जुड़ा हुआ है। पहले रैंकिंग में स्टूडेंट्स के जेईई मेन एग्जाम में आने वाले मार्क्स को बेस बनाया जाता था लेकिन अब परसेंटाइल स्कोर को बेस बनाया जाएगा।
2019 से जेईई-मेन की परीक्षा कंप्यूटर आधारित होगी और परीक्षा का आयोजन साल में दो बार (जनवरी और अप्रैल) होगा। छात्रों के पास दोनों में से एक या दोनों बार होने वाली परीक्षा में बैठने का विकल्प होगा। दोनों बार में परीक्षा का आयोजन 14 दिनों तक होगा और हर दिन कई सत्र होंगे।
हर सेशन में छात्रों को सवालों के अलग सेट्स मिलेंगे। पेपर की कठिनता का स्तर किसी पेपर में कम और किसी पेपर में ज्यादा भी हो सकता है। हर स्टूडेंट के पास अलग-अलग पेपर आएंगे। किसी का भी पेपर मैच नहीं करेगा।
क्वैश्चन पेपर में कठिनाई के स्तर से निपटने के लिए यह व्यवस्था की गई है कि प्रत्येक सेशन का परसेंटाइल स्कोर उस खास सेशन में छात्रों के प्रदर्शन के अनुसार होगा। कठिनाई के अलग-अलग स्तर की स्थिति में कुछ कैंडिडेट्स को ज्यादा मुश्किल सवालों वाले सेट्स मिल सकते हैं, जिससे उनको कम मार्क्स हासिल करने की संभावना रहेगी। ऐसे में परसेंटाइल स्कोर के आधार पर नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि परीक्षा के कठिनाई स्तर की वजह से किसी छात्र के साथ अन्याय न हो। मेडिकल की प्रवेश परीक्षा नीट यूजी में जिस तरह मार्क्स नार्मलाइजेशन किया जाता है, उसी तरह से जेईई मेन में किया जाएगा।
जेईई मेन में छात्रों की रैंकिंग के लिए NTA स्कोर का सहारा लिया जाएगा। एनटीए स्कोर सभी चरणों में आयोजित परीक्षा के परसेंटाइल स्कोर को जोड़कर निकाला जाएगा। पहले सभी सेशन का अलग-अलग परसेंटाइल स्कोर निकाला जाएगा। फिर उन परसेंटाइल स्कोर को एक साथ मिलाकर ओवरऑल मेरिट और रैंकिंग तैयार की जाएगी। अगर दो या उससे ज्यादा कैंडिडेट्स का बराबर परसेंटाइल हुआ तो जिस कैंडिडेट का मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री में ज्यादा परसेंटाइल होगा, उसका परसेंटाइल ज्यादा माना जाएगा।
अगर मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री के परसेंटाइल के बाद भी ओवरऑल परसेंटाइल बराबर रहा तो जिस कैंडिडेट की उम्र ज्यादा होगी, उसका परसेंटाइल ज्यादा माना जाएगा। फिर भी परसेंटाइल टाई रहा तो ज्वाइंट रैंकिंग दी जाएगी।