सभी यूनिवर्सिटीज को अब हर हाल में बदलना होगा Syllabus
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन(यूजीसी) के एक फैसले से देशभर के युवाओं के लिए रोजगार के मौके बढ़ेंगे। यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटीज को लैटर लिखकर निर्देश दिए हैं कि वह अपने सिलेबस को रोजगारपरक बनाएं। इसके लिए यह भी जरूरी कर दिया गया है कि हर यूनिवर्सिटी हर तीन साल में अपना सिलेबस बदले।
यूजीसी के सेक्रेटरी डा. जसपाल एस संधू की ओर से भेजे गए पत्र में साफ किया गया है कि यूनिवर्सिटी में पढ़ाए जाने वाले सभी कोर्स इंडस्ट्रीज की डिमांड के हिसाब से हों। ट्रेडिशनल कोर्सेज में भी नए चेंज करने की दरकार है। इसके लिए निर्देश दिए गए हैं कि हर यूनिवर्सिटी अपनी एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में यह फैसला ले कि हर हाल में सिलेबस बदला जाए। देशभर की तमाम यूनिवर्सिटीज ऐसी हैं, जिनमें आज भी दस-दस साल पुराने सिलेबस ही पढ़ाए जा रहे हैं। इस वजह से स्टूडेंट्स को डिग्री तो मिलती है लेकिन जब वह जॉब के लिए जाते हैं तो वहां इंडस्ट्रीज के पैमानों पर खरे नहीं उतरते। यूजीसी के इस बदलाव से निश्चित तौर पर नौकरियों के मौकों में बढ़ोतरी होगी।
एक्सपर्ट कमेंट-
कई यूनिवर्सिटीज में बीए, बीकॉम जैसे ट्रेडिशनल कोर्स आज भी वैसे ही चलाए जा रहे हैं। ट्रेडिशनल तरीके से एडमिशन लेने के बाद केवल ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट होने के लिए स्टूडेंट को डिग्री मिलती है। यूजीसी का यह कदम बेहद जरूरी है। अब इंडस्ट्री और जॉब ओरिएंटेड कोर्स पढ़ेंगे तो इंडस्ट्रीज में एंट्री करना आसान हो जाएगा। वक्त के साथ कोर्सेज में बदलाव होते रहना जरूरी है। अभी के सिनेरियो की बात करें तो कई ग्रेजुएशन और पीजी के कोर्स तो केवल किसी प्रोफेशनल कोर्स में एंट्री का जरिया मात्र बनकर रह गए हैं। -प्रो. वीए बौड़ाई, प्रिंसिपल, एजसीआरआर पीजी कॉलेज
यहां पढ़ें यूजीसी का लैटर-