Salute : उत्तराखंड के इस 119 साल पुराने स्कूल को देखकर केजरीवाल का दिल्ली मॉडल भूल जाओगे

चमोली(Chamoli) जनपद के नारायणबगड ब्लाॅक के कडाकोट पट्टी के स्कूल का कायाकल्प

Uttarakhand school

आजकल आम आदमी पार्टी(AAP) उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों की बदहाली को दिखाने के लिए सेल्फी विद स्कूल अभियान चला रही है। केजरीवाल के दिल्ली मॉडल स्कूलों से यहां की तुलना की जा रही है। हम इस राजनीतिक उठापटक के बीच आज आपको दिखा रहे हैं पहाड़ का ऐसा स्कूल, जिसे देखकर आप केजरीवाल का दिल्ली मॉडल भी भूल जाओगे।

कोरोना काल मे मध्य हिमालय में स्थापित 119 साल पुराना सरकारी विद्यालय लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन रहा है। इस विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के भगीरथ प्रयासों नें कोरोना काल में विद्यालय की तस्वीर ही बदल कर रख दी है। जितना खूबसूरत गांव उतना ही खूबसूरत विद्यालय। यह विद्यालय लोगों को सरकारी विद्यालयों के प्रति विश्वास और भरोसा दिलाता है कि सरकारी विद्यालय भी किसी से कम नहीं हैं।

गौरतलब है कि Uttarakhand के चमोली जनपद के नारायणबगड ब्लाॅक के कडाकोट पट्टी में 1901 में स्थापित राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय चोपता इन दिनों लोगों के मध्य चर्चा का विषय बना हुआ है। ये विद्यालय आज हर विधा में शहरों के नामी विद्यालयों से मीलों आगे है। गुणवत्ता परक शिक्षा से लेकर अत्याधुनिक सुविधाओं का केंद्र है ये विद्यालय। नारायणबगड ब्लाॅक मुख्यालय से 26 किमी की दूरी पर स्थित है ये विद्यालय।

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स्कूल में कार्यरत शिक्षक नरेंद्र भंडारी (प्रभारी प्रधानाचार्य), परमानंद सती, गजपाल नेगी, अंजलि रतूड़ी और विद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष यशवंत रावत के भगीरथ प्रयासों नें विद्यालय की तस्वीर बदल कर रख दी है। बेहतरीन पेंटिंग से इन दिनों विद्यालय की दीवारें रंग और कूची से जगमग कर दी हैं। स्कूल की दीवारों को देखकर हर कोई अचंभित है।

119 सालों से ये विद्यालय उत्तरी कडाकोट पट्टी का शिक्षा का केंद्र रहा है। 2016 में इस विद्यालय को आदर्श विद्यालय का दर्जा मिला। जिसके बाद इस विद्यालय को शहरों में स्थापित विद्यालय की तरह गुणवत्ता परक शिक्षा का केंद्र बनाने और संवारने का जिम्मा यहाँ के शिक्षकों और स्थानीय ग्रामीणों नें बीडा उठाया।

 

यहां के छात्रों नें लहराया परचम..
स्कूल में छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से सामूहिक प्रयासों से विद्यालय कोष की स्थापना की गयी है। जिसमें शिक्षक और अभिभावक अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देते हैं। विद्यालय में अध्ययनरत सभी छात्र छात्राओं को निशुल्क स्कूल ड्रेस वितरित की जाती है। सको में ड्रैस कोड लागू है। सप्ताह के लिए अलग-अलग रंग की चार ड्रैस तय है। दो दिन बच्चे ग्रे कलर का ब्लेजर, दो दिन हाउस ड्रैस, एक दिन स्पोर्ट्स ड्रैस व एक दिन ट्रैक शूट में विद्यालय आते हैं। इसके अलावा हर बच्चे को परिचय पत्र भी दिया गया है। स्कूल में कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है, जबकि स्मार्ट क्लास में प्रोजेक्टर के माध्यम से अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, पर्यावरण आदि विषयों का ज्ञान बांटा जाता है। सभी के लिए हर दिन एक स्मार्ट क्लास लेना अनिवार्य है।

जिसकी परिणति ये हुई की इस विद्यालय से अभी तक 11 बच्चे नवोदय विद्यालय एवं दो बालिकाएं हिम ज्योति स्कूल देहरादून में पढ़ रही है। पिछले साल विद्यालय के छात्रों का प्रदेश स्तर पर गणित ओलंपियाड, सामान्य ज्ञान एवं निबंध आदि के लिए चयन हुआ था। विद्यालय में आधुनिक सुविधाओं से युक्त किचन, छात्र छात्राओं के लिए अलग-अलग टॉयलेट, पीने के पानी के टैंक जिसमें कई टोटियां लगाई गई हैं। बच्चों को दोपहर भोजन के लिए डाइनिंग टेबल की सुविधा है।

Uttarakhand school

स्कूल में प्रतिदिन छह अलग-अलग राज्यों की भाषाओं में प्रार्थना होती है। विद्यालय की प्रगति को देखकर विद्यालय को चुनिंदा विद्यालयों की सूची में स्थान मिला, और उसे शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालय रूपांतरण के लिए फंड जारी हुआ। इसी फंड और निजी प्रयासों से एकत्रित की गयी धनराशि का सदुपयोग करके स्कूल में रंग रोगन करवाया गया। जिसकी प्रशंसा आज पूरे देश में हो रही है। विद्यालय पर किस प्रकार की चित्रकारी हो के लिए भी इंटरनेट के माध्यम से चित्रकार की खोज की गई, और आगरा से अनुज कुमार को इस कार्य के लिए बुलाया गया, जिन्होंने रंग और कूची से विद्यालय की तस्वीर ही बदल कर रख दी।

चोपता गांव के सामाजिक सरोकारों से जुड़े युवा और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन गोपेश्वर में बतौर काॅर्डीनेटर कार्यरत जगमोहन चोपता कहते हैं कि कोविडकाल में यूं बन ठन कर खड़ा है, आशाओं से भरपूर एक प्यारा सा स्कूल। जैसे कह रहा हो कि मैं तो तैयार हूं। भई कहां हैं हमारे बच्चे, स्कूल की घण्टी, शिक्षक-शिक्षिकाएं, भोजनमाताएं।
(संजय चौहान की रिपोर्ट)

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