रितेश आज उन सभी युवाओं के लिए स्टार्टअप इंडिया के स्टार बन गए हैं, जो कि बेरोजगारी की वजह से परेशान हैं। इधर-उधर भटक रहे हैं। उत्तराखंड के रुड़की शहर की पहचान यूं तो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी(आईआईटी) से है लेकिन इसकी नई पहचान बनाई है रुड़की के छोटे से कस्बे मंगलौर के बेटे रितेश ने। बैंक पीओ की नौकरी छोड़कर रितेश ने ऐसी राह पकड़ी कि आज उनकी मेहनत से 35 लोग अपने स्टार्टअप शुरू कर चुके हैं।
युवा प्रेरणा यात्रा
रितेश ने बैंक पीओ की अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर कई साल पहले आई फोर नेशन फाउंडेशन की स्थापना की। वह हर साल इस फाउंडेशन के तहत उत्तराखंड में युवा प्रेरणा यात्रा निकालते हैं। तीन साल से लगातार प्रेरणा यात्रा निकालते आ रहे हैं। सात दिन की इस यात्रा में अलग-अलग राज्यों के करीब 100 युवा शामिल होते हैं। यह यात्रा हर उन उद्योगों से होकर गुजरती है जो कि अपनी अलग पहचान के लिए देश-दुनिया में जाने जाते हैं।
35 ने शुरू कर दिया स्टार्टअप
युवा प्रेरणा यात्रा से प्रेरित होकर अभी तक देशभर में 35 लोग अपने छोटे उद्यम स्थापित कर चुके हैं। इनमें से कई लोग तो ऐसे भी हैं जिन्होंने 15 से 50 लोगों को नौकरियां दी हुई हैं। हर साल अप्रैल में शुरू होने वाले यात्रा की तैयारियों में जुटे रितेश इस बार भी यात्रा को लेकर काफी उत्साहित हैं।
आईआईटीयन से लेकर ग्राम प्रधान तक शामिल
रितेश की युवा प्रेरणा यात्रा में आईआईटीयन से लेकर गंावों के प्रधान तक शामिल होते हैं। उनकी यह यात्रा रामगढ़, पुरकुल गांव होते हुए यमुना ब्रिज से नौंगाव तक जाती है। यहां से धारी कलोगी जाती है, जहां फार्मा कंपनियों के एक्सपर्ट जानकारी देते हैं। इसके बाद यात्रा सिद्ध गांव से धनोल्टी इको पार्क पहुंचती है। यहां से ऋषिकेश में रुकने के बाद व्यासी जाती है। व्यासी से हरिद्वार और फिर गुरुकुल कांगड़ी विवि में यात्रा खत्म होती है। इस यात्रा में केवल वही लोग शामिल होते हैं, जिनके भीतर कुछ करने की क्षमता हो।