JEE Main Exam 2020 1st Session में सामने आए कई बदलाव
जेईई-मेन जनवरी 2020 सेशन का पेपर सामान्य रहा। अभी तक पेपर में प्रति विषय 30-30 प्रश्न पूछे जाते थे। जबकि इस साल पैटर्न में बदलाव करते हुए प्रति विषय 25-25 प्रश्न पूछे गए। इनमें 20 प्रश्न सिंगल करेक्ट आंसर एवं 5 इंटीजर बेस्ड थे। विशेषज्ञों के अनुसार प्रश्नों की संख्या कम जरूर थी, लेकिन न्यूमेरिकल वैल्यू बेस्ड प्रश्नों की वजह से पेपर लंबा था। गणित में छात्रों को पेपर का टाइम पर्याप्त नहीं लगा। बताया गया कि पेपर एनसीईआरटी सिलेबस पर आधारित था। जिसमें 11वीं और 12वीं कक्षा के प्रश्नों का समावेश था।
बता दें, जेईई-मेन की अब साल में दो बार परीक्षा आयोजित की जाती है। पहली जनवरी और दूसरी अप्रैल में। जनवरी सत्र की परीक्षा छह से 9 जनवरी के बीच आयोजित की गई। दून में परीक्षा के लिए तीन परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। बलूनी क्लासेज के प्रबंध निदेशक विपिन बलूनी के अनुसार गणित और फिजिक्स का पेपर कठिन रहा है, जबकि केमिस्ट्री कुछ आसान थी। छात्रों से मिले फीडबैक के अनुसार केमिस्ट्री में 12वीं से सबसे ज्यादा सवाल पूछे गए। पेपर में ऑर्गेनिक केमिस्ट्री को ज्यादा कवर किया गया। जबकि फिजिकल केमिस्ट्री के प्रश्नों की संख्या ऑर्गेनिक एवं इनऑर्गेनिक केमिस्ट्री की अपेक्षा कम थी। उन्होंने बताया कि पेपर में गणित अधिक कैलकुलेटिव रहा है। पूर्णांक प्रकार वाले प्रश्न आसान रहे। फिजिक्स का सेक्शन तुलनात्मक रूप से कठिन था। इसमें ऑप्टिक्स और मॉडर्न फिजिक्स, मैकेनिक्स, करंट इलेक्ट्रिसिटी और ईएमआइ , इलेक्ट्रोस्टेटिक और मैगनेटिजम, हीट एंड थर्मोडायनामिक्स आदि विषयों से सवाल पूछे गए हैं।
इतनी रह सकती है कटऑफ
बलूनी के अनुसार कट-ऑफ सामान्य वर्ग के लिए 80-85 अंक, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 47-54 अंक, एससी के लिए 32-37 अंक और एसटी के लिए 25-31 अंक रहने की संभावना है। पेपर का विश्लेषण करने पर कहा जा सकता है कि जो अभ्यार्थी न्यूनतम 25 से 35 प्रतिशत के बीच अंक प्राप्त कर लेता है, उसका चयन सुनिश्चित है।
JEE Main April 2020 के लिए बचा हुआ है मौका
अचीवर्स क्लासेज के सीईओ मनु पंत ने बताया कि जो छात्र इस दफा अच्छा स्कोर नहीं कर पाएं उन्हें निराश होने की जरुरत नहीं है। ऐसे छात्र अप्रैल में परीक्षा दे सकते हैं। जिस एग्जाम में उनके अंक अधिक होंगे, उस एग्जाम के अंकों के आधार पर वह एडवांस के लिए क्वालीफाई होंगे। इन दोनों एग्जाम को मिलाकर एक अटेंप्ट माना जाएगा। क्योंकि परीक्षा ऑनलाइन और अलग-अलग स्लॉट में आयोजित की गई, पेपर की कठिनाई का स्तर भिन्न हो सकता है। पर छात्र निश्ंिचत रहें। इस समस्या से निजात पाने के लिए परसेंटाइल स्कोर पर आधारित नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया या सामान्यीकरण का फार्मूला अपनाया जाएगा।