IIT रुड़की ने जर्मनी के GSI हेल्महोल्ट्ज़ सेंटर में सीबोर्गियम-257 (Sg-257) की खोज में अहम योगदान दिया। अध्ययन फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित।
परमाणु भौतिकी की दिशा में एक उल्लेखनीय सफलता के रूप में वैज्ञानिकों ने नए अतिभारी समस्थानिक सीबोर्गियम-257 (Sg-257) की खोज की है। यह खोज जर्मनी के GSI हेल्महोल्ट्ज़ सेंटर फॉर हेवी आयन रिसर्च में सम्पन्न हुई, जिसमें IIT रुड़की के प्रो. एम. मैती ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अध्ययन प्रतिष्ठित जर्नल फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हुआ है।
शोध दल ने शक्तिशाली त्वरक और अत्याधुनिक डिटेक्शन तकनीकों का उपयोग कर Sg-257 का संश्लेषण किया। यह तत्व प्रकृति में नहीं पाया जाता और इसकी अर्धायु मिलीसेकंड तक ही होती है। बावजूद इसके, यह खोज “स्थिरता के द्वीप” (Island of Stability) की वैश्विक वैज्ञानिक खोज में अहम योगदान है।
प्रो. एम. मैती ने कहा, “यह खोज परमाणु भौतिकी में एक बड़ा कदम है। इससे समझने में मदद मिलेगी कि चरम स्थितियों में नाभिकीय बल कैसे कार्य करते हैं।”
IIT रुड़की के निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत ने इसे भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि यह उपलब्धि मौलिक विज्ञान में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।
इस शोध में IIT रुड़की के अलावा जोहान्स गुटेनबर्ग यूनिवर्सिटी (जर्मनी), जापान परमाणु ऊर्जा एजेंसी, फ़िनलैंड के जैवस्किला विश्वविद्यालय समेत कई संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल थे।
यह खोज न केवल मौलिक विज्ञान को आगे बढ़ाती है बल्कि भविष्य की प्रौद्योगिकियों और समाज के लिए नए अवसर भी खोलती है।