ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में नशे पर वर्कशॉप में सामने आई कड़वी सच्चाई
देश में 730 लाख से ज्यादा लोग किसी ना किसी तरह के नशे के आदी हैं। यह चौंका देने वाले आकड़े एक्सपर्ट्स ने उत्तरांखड के देहरादून स्थित ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में आयोजित नशा मुक्ति कार्यशाला के दौरान दी। विशेषज्ञों का यह भी मानना था की नशे से लड़ने का एकमात्र हथियार सेल्फ कंट्रोल है।

भारत सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय द्वारा 2015 में किए गए सर्वे के आकड़े बताते हुए विशेषज्ञों ने कहा की नशे के आदी इन 730 लाख भारतीयों में सबसे ज्यादा शराब के व्यसनी हैं। विशेषज्ञों ने नशेड़ियों द्वारा चरस, गांजा, अफीम के साथ साथ साइकोट्रोपिक ड्रग्स जैसे कोडिन वाले कफ सीरप, नींद और घबराहट की गोलियां आदि के दुरूपयोग पर भी चिन्ता जताई। उत्तराखण्ड सरकार के अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेन्टर के डा. रिमांत गुप्ता ने साथियों द्वारा दबाव की नशे का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि इस आदत से उभरने के लिए इलाज के साथ साथ मनोवैज्ञानिक परामर्श और घरवालों की सहायता की आवश्यकता होती है। सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती उषा गोयल ने नशे को समाज का सबसे बड़ा अभिशाप बताते हुए कहा कि किसी भी नशा ग्रस्त इंसान को उसका आत्म नियंत्रण और दृण इच्छाशक्ति ही नशे से बाहर निकाल सकती है।

एनडीपीएस एक्ट और टोबेको कंट्रोल एक्ट के प्रावधानों के बारे में बताते हुए आईपीएस अधिकारी निवेदिता कुकरेती ने कहा की नशे से लड़ने के लिए सरकार को मौजूदा कानूनों में पूरी तरह से लागू करने के साथ ही नए कानून बनाने की जरूरत है। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. बीवी बाबू ने कहा कि अगर हम अपनी पांचों इंद्रियों पर नियंत्रण कर सकते हैं तो किसी भी नशे से बच सकते हैं।
